कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं जहरीली लौकी? इस तरह करें पहचान
Bottle Gourd side effects: लौकी का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। लेकिन कड़वी लौकी शरीर में जहर बनाने का काम करती है। इस तरह की लौकी खाने से व्यक्ति की जान तक जा सकती है।
Bottle Gourd aspect outcomes: लौकी का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन-सी, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर और जिंक जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाते हैं। लौकी पेट के लिए काफी फायदेमंद सब्जी मानी जाती है। लौकी खाने या इसका जूस पीने से शरीर की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज से लेकर हाई बीपी तक की समस्या में लाभ मिल सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत तरीके की लौकी की सब्जी या जूस का सेवन करने से आपको अस्पताल भी जाना पड़ सकता है? जी हां, कड़वी लौकी खाने से शरीर में जहर बन सकता है। इसलिए लौकी खाने से पहले इसकी जांच करना बहुत जरूरी है।
भूलकर भी न ऐसी लौकी का सेवन
लौकी में कुकुरबिटेनिक्स नाम का एक टॉक्सिक कंपाउंड होता है। इसी कंपाउंड की वजह से लौकी में कड़वापन भी आता है। सिर्फ मॉडर्न साइंस ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद भी इस तरह की लौकी का सेवन करने से मना करता है।
ऐसे करें टेस्ट
लौकी की सब्जी या जूस बनाने से पहले एक छोटा-सा टुकड़ा खाकर चख लें। अगर लौकी का स्वाद कड़वा लगे, तो इसे खाना नहीं चाहिए। वहीं, अगर लौकी में कोई कड़वापन नहीं है, तो इसका मतलब यह खाने योग्य है।
कड़वी लौकी खाने के नुकसान
कड़वी लौकी खाने या इसका जूस पीने से पेट दर्द, उल्टी, मतली, डायरिया, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, कुछ गंभीर मामलों में व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इस तरह के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लौकी खाने के फायदे
लौकी की तासीर ठंडी होती है, इसलिए इसे खाने से शरीर में ताजगी बानी रहती है।
लौकी की सब्जी या जूस का सेवन करने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है।
लौकी पेट के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके सेवन से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
डायबिटीज रोगियों के लिए लौकी के जूस का सेवन काफी फायदेमंद होता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में काफी मददगार होता है।
लौकी का सेवन करने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है, जिससे हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है
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