Sparsh Hindi Class 9 Solutions Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा
Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Textbook Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्यपुस्तक से)
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
4. हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
5. मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
6. रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
7. कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर
- अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचंद कर रहे थे।
- सागरमाथा शब्द से तात्पर्य है ‘सागर के माथे के समान’ तथा एवरेस्ट को सागरमाथा के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थानीय नाम था इसलिए लेखिका को यह नाम पसंद आया। एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है।
- एवरेस्ट की तरफ गौर से देखते हुए लेखिका को एक भारी बर्फ का फूल दिखा जो पर्वत शिखर पर लहराता एक ध्वज-सा लग रहा था।
- हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार घायल हो गए।
- एक शेरपा कुली की मृत्यु तथा चार के घायल होने के कारण अभियान दल के सदस्यों के चेहरे पर छाए अवसाद को देखकरकर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु को भी सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
- एवरेस्ट शिखर पर चढ़ाई के दौरान जलवायु अनुकूल नहीं थी। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलावों के कारण रसोई सहायक मृत्यु हो गई।
- कैंप चार साउथ कोल में 29 अप्रैल को सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था।
- लेखिका ने जब साउथ कोल के बेस कैंप में शेरपा कुली को देखा तो उन्होंने उसे अपना परिचय यह कहकर दिया कि मैं बिलकुल ही नौसिखिया हूँ और यह मेरा पहला अभियान है।
- लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने बधाई देते हुए कहा, “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा। देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।”
लिखित
प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए-
1. नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
2. डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर
1. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौचक्की होकर देखती रही। उसने बेस-कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन एवरेस्ट और उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह इसके सौंदर्य को देखकर प्रभावित हुई। ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही।
2. डॉ. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं
- अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का बनाना।
- लट्ठों और रस्सियों को उपयोग करना।
- बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना।
- अग्रिम दल के अभियांत्रिकी कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। किसी भी अनजान पथ पर जाते हुए यह जानकारी महत्वपूर्ण थी। पर्वतीय यात्रा से पूर्व तैयारी करनी पड़ती है। यदि विस्तृत जानकारी न हो तो। रोमांचक यात्रा खतरनाक मोड़ ले लेती है।
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा कि वह एक पक्की पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए। कठिन रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। ऐसा लगता था कि जैसे पर्वतीय स्थानों की जानकारी उन्हें पहले से ही हो। यद्यपि एवरेस्ट का उनका पहला अभियान था। तेनजिंग का उनके कंधे पर हाथ रखकर प्रोत्साहन
देना उन्हें अच्छा लगा।
4. लेखिका को लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा और आठ अन्य शरीर से मजबूत और ऊँचाइयों में रहनेवाले शेरपाओं के साथ चढ़ाई करनी थी। जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ कोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए थे। अगले दिन सुबह 6.20 पर वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उसके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। अन्य पर्वतारोहियों के साथ चढ़ते हुए खतरों से जूझना उनकी आदत हो गई थी।
5. जब लेखिको गहरी नींद में सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ का पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था। लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ किया और लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखंडों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका। यदि थोड़ी-सी भी देर हो जाती तो उसका सीधा अर्थ था-मृत्यु।
6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी के लिए खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिण्डर इकट्ठे किए। इसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे साथियों की सहायता के लिए एक थरमस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई।
प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए
1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
3. लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
4. लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर
1. उपनेता प्रेमचंद ने अग्रिम दल का नेतृत्व करते हुए पहली बड़ी बाधा खंभु हिमपात की स्थिति से पर्वतारोहियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ कर दिया है। उन्होंने यह बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा इंडियों से रास्ता चिनित कर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और बर्फ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी बदलाव व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।
2. बर्फ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात बनाता है। हिमपात अनियमित और अनिश्चित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के ढहने से अकसर बर्फ में हलचल हो जाती है। इससे बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें तुरंत गिर जाती हैं और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें अकसर गहरी-गहरी चौड़ी दरारों का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।
3. लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। साँसें लेने में कठिनाई होने लगी। एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना को भी पीछे छोड़ दिया। कैप नष्ट हो गया था। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।
4. जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेंद्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। बर्फीली हवाएँ चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय वगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका को ‘की’ से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने ‘की’ को देखा। वह लेखिका को देखकर हक्का-बक्का रह गया।
5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे
- बेसकैंप : यह कैंप काठमांडू के शेरपालैंड में लगाया गया। पर्वतीय दल के नेता कर्नल खुल्लर यहीं रहकर एक-एक
गतिविधि का संचालन कर रहे थे। उपनेता प्रेमचंद ने भी हिमपात संबंधी सभी कठिनाइयों का परिचय यहीं दिया। - कैंप एक : यह हिमपात से 6000 मीटर की ऊँचाई पर था। यहाँ हिमपात से सामान उठाकर कैंप तक लाए जाने | का अभ्यास किया गया।
- कैंप दोः 16 मई प्रातः सभी लोग इस कैंप पर पहुँचे। जिस शेरपा की टाँग टूट गई उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
- कैंप तीनः यह ल्होत्से पहाड़ियों के आंगन में स्थित था। यहाँ नाइलॉन के बने तंबू में लेखिका और उसके सभी साथी सोए हुए थे। इसमें 10 व्यक्ति थे रात 12.50 बजे एक हिमखंड उन पर आ गिरा।
- कैंप चारः यह समुद्र के 7900 मीटर ऊपर था। यहीं से साउथ कैंप और शिखर कैंप के लिए चढ़ाई की गई। यह 29 अप्रैल 1984 को अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा ने लगाया था।
- साउथ कोल कैंपः यहीं से अंतिम दिन की चढ़ाई शुरू हुई।
- शिखर कैंप: यह पर्वत की सर्वोत्तम चोटी से ठीक नीचे स्थित है। इस कैंप में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घंटे में पहुंच गए।
6. चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट पर जमी बर्फ सीधी और ढलाऊ थी। चट्टानें इतनी भुरभुरी थीं मानो शीशे की चादरें बिछी हों। बर्फ़ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। दक्षिण शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके झुरझुरी बर्फ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी। वहाँ अपने-आप को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन है इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ़ को तोड़कर अपने टिकने योग्य स्थान बनाया।
7. लेखिका के व्यवहार से सहयोग और सहायता का परिचय तब मिलता है जब उसने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने एक थरमस को जूस से तथा दूसरे को गरम चाय से भरकर बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उसके इस प्रयास को खतरनाक बताया तो बचेंद्री ने जवाब दिया “मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ, इसलिए इस दल में आई हूँ। शारीरिक रूप से ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए?” यह भावना उसकी सहयोगी प्रवृत्ति को दर्शाती है।
प्रश्न (ग)
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए
1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
2. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र ख्याल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर
1. आशय-ये शब्द कर्नल खुल्लर ने अभियान दल के सदस्यों को कहे थे। जिनका आशय था कि एवरेस्ट पर पहुँचना एक महान अभियान है जिसमें खतरे तो रहते ही हैं। कभी-कभी किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है। इसमें कदम-कदम पर जान जाने का खतरा होता है। यदि ऐसा कठिन कार्य करते हुए मृत्यु भी हो जाए तो उसे स्वाभाविक घटना के रूप में लेना चाहिए। बहुत हाय-तौबा नहीं मचानी चाहिए क्योंकि ऐसे महान अभियानों में यह भी संभव है।
2. आशय-हिमपात का अव्यवस्थित ढंग से गिरना स्वयं में डरावना था। धरातल में दरार पड़ने का विचार और हिमपात तथा ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने की बात सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने से कई बार धरातल पर ये दरारें बहुत गहरी और चौड़ी बर्फ से ढकी हुई गुफाओं में बदल जाती थीं, जिनमें धंसकर मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि इनके सारे अभियान में यह हिमपात लगभग एक दर्जन पर्वतारोहियों और कुलियों का प्रतिदिन प्रभावित करता रहेगा। उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा।
3. आशय-लेखिका एवरेस्ट शंकुनुमा चोटी पर पहुँचनेवाली प्रथम महिला थी। वह अपने साहस और हिम्मत से अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुँच गई थी। वहाँ दो व्यक्तियों का इकट्ठे खड़े होना असंभव था। बर्फ़ के फावड़े से खुदाई करके उन्होंने अपने आपको सुरक्षित कर लिया और घुटनों के बल बैठकर सागरमाथा के ताज को चूम लिया। पूजा-अर्चना करते हुए लेखिका ने लाल कपड़े में दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लपेटी। बर्फ में उसे दबाया व माता-पिता का स्मरण करने लगी। यह लेखिका के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़नेवाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए-
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायजा लेना, नौसिखिया
उत्तर
निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है।
लेखिका ने नमचे बाज़ार में पहुँचकर सबसे पहले एवरेस्ट को देखा था वह उसे देखते ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो गई। इसलिए लेखिका इसे मात्र देखा न कहकर निहारा’ कहती है।
धसकना-नीचे को फँसना।
जब धरती का कुछ हिस्सा नीचे की ओर दब जाता है उसे धसकना कहते हैं।
खिसकना-अपनी जगह से हटकर परे चले जाना।
हिमपात से बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें खिसक जाती हैं।
सागरमाथा-संसार का सबसे ऊँचा स्थान।
जिस स्थान ने बचेंद्री पाल ने हिमालय की चढ़ाई आरंभ की, वह स्थान समुद्र तल का सर्वोच्च स्थान है इसलिए उसे सागरमाथा ठीक ही कहा गया है।
नौसिखिया-अनजान।
तेनजिंग के सामने बचेंद्री पाल ने स्वयं को नौसिखिया पर्वतारोही कहा।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
(क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।
(ख) क्या तुम भयभीत थीं।
(ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री।
उत्तर
- उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
- “क्या तुम भयभीत हो”?
- “तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली? बचेंद्री”।
प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उदाहरण-हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।
टेढ़ी-मेढ़ी, हक्का-बक्का, गहरे-चौड़े, इधर-उधर, आस-पास, लंबे-चौड़े।
उत्तर
टेढ़ी-मेढ़ी-पहाड़ों पर सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं।
गहरे-चौड़े-बर्फ के बड़े ग्लेशियर गिरने से गहरे-चौड़े गड्ढे पड़ गए थे।
आस-पास-हमारे विद्यालय के आस-पास बहुत हरियाली है।।
हक्का-बक्का-अपने माता-पिता को पार्टी में आया देखकर रमेश हक्का-बक्का रह गया।
इधर-उधर-चोरी पकड़े जाने पर रमेश सहायता के लिए इधर-उधर देखने लगा।
लंबे-चौड़े-नेता लोग वादे तो लंबे-चौड़े करते हैं परंतु उनमें से एक भी पूरा नहीं करते।
प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए-
उत्तर
<
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए-
जैसे- पुत्र-सुपुत्र।।
वास, व्यवस्थित, कूल, गति, रोहण, रक्षित
उत्तर
प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रियाविशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
(क) मैं …………………………. यह कार्य कर लूंगा।।
(ख) बादल घिरने के ………………………… ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत ……………………………. इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को ………………………… गाँव जाना था।
उत्तर
(क) मैं सुबह तक यह कार्य कर लूंगा।।
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाङकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंग्रेज़ी शब्दों का चयन कर उनका अर्थ लिखिए।-
उत्तर
प्रश्न 2.
पर्वतारोहण से संबंधित दस चीजों के नाम लिखिए।-
उत्तर
प्रश्न 3.
तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 4.
इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट’ क्यों पड़ा? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
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