Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 11th Class |
Subject: | Hindi Aroh |
Chapter: | 3 |
Chapters Name: | अपू के साथ ढाई साल |
Medium: | Hindi |
अपू के साथ ढाई साल Class 11 Hindi Aroh NCERT Books Solutions
अपू के साथ ढाई साल (अभ्यास प्रश्न)
प्रश्न 1. ‘पथेर पाँचाली’ फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?
‘पथेर पाँचाली’ फिल्म की शूटिंग में कई प्रकार की अड़चन आई। इस फिल्म की शूटिंग लगातार नहीं की जा सकी थी क्योंकि लेखक के पास समय व पैसे का अभाव था। पैसे खत्म होने के बाद फिर से पैसा जमा करने तक शूटिंग को रोक दिया जाता था। इसी प्रकार एक बार की घटना में जानवरों ने काशफूल खा लिए थे। जिसके कारण लगभग एक साल तक शूटिंग को रोकना पड़ा था। ‘भूलो’ कुत्ते की मृत्यु होने पर उस जैसा कुत्ता ढूंढने में समय लग गया। इस प्रकार काफी बाधाएँ आने के कारण इस फिल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला।
प्रश्न 2. अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से कंटिन्यूटी नदारद हो जाती है। -इस कथन के पीछे क्या भाव है?
कथन उस समय का है जब फिल्म की शूटिंग काशफूलों से भरे मैदान के पास रेलवे मैदान पर की जानी थी। वहाँ आधे सीन की शूटिंग पूरी हो चुकी थी। जब आधे सीन की शूटिंग करके सात दिन के पश्चात उस स्थान पर गए तो देखा कि जानवरों ने उस मैदान को खा लिया था। ऐसे में उस स्थान पर शेष आधे सीन की शूटिंग करने से पहले की गई सीन की शूटिंग से मेल नहीं बैठ पाता था। उस सीन की शूटिंग शरद ऋतु तक रोक दी गई। लेखक ने इस कथन से शूटिंग की दौरान आई कठिनाइयों की ओर संकेत किया है।
प्रश्न 3. किन दो दृश्य में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
‘भूलो’ कुत्ते की आधे सीन की शूटिंग हो चुकी थी। तभी किसी कारण ‘भूलो’ की मृत्यु हो गई। इसके बाद बचे हुए आधे सीन की शूटिंग किसी दूसरे कुत्ते से करवाई गई। एक अन्य सीन में ‘भूलो’ को अपू और दुर्गा के पीछे दौड़ना था। लेकिन कुत्ता अपने मालिक की बात भी नहीं मान रहा था। फिल्म और पैसे दोनों खराब हो रहे थे। लेखक को एक तरकीब सूझी। उसने दुर्गा के हाथ में थोड़ी मिठाई कुत्ते को दिखाकर भागने को कहा। फिल्म को देखने वाले इन दो दृश्यों को देखने से नहीं पहचान पाते कि फिल्म में कोई तरकीब अपनाई गई है।
प्रश्न 4. ‘भूलो’ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फिल्म की किस दृश्य को पूरा किया?
फिल्म में एक दृश्य था कि अपू की माँ उसे भात खिला रही थी ‘भूलो’ कुत्ता दरवाजे के सामने बैठा अपू का भात खाना देख रहा था। अपू खेलते हुए खाना वहीं छोड़कर चला जाता है। तब उसकी माँ थाली में बचे हुए भात को गमले में डाल देती है लेकिन पैसे खत्म होने के कारण यह दृश्य उस दिन पूरा न हो सका। छः महीने के बाद शेष दृश्य को चित्रित करने गाँव में पहुँचे तो पता चला कि भूलो कुत्ता मर चुका है। उसी गाँव में ‘भूलो’ जैसा रंग, आकार का दूसरा कुत्ता मिल गया। अतः उस फैंके हुए भात को उसने खाया और दृश्य पूरा हुआ।
प्रश्न 5. फिल्म मे श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फिल्माया गया?
फिल्म में श्रीनिवास की एक घूमते मिठाई वाले की भूमिका थी और उनके गुजर जाने के बाद एक ऐसे सज्जन को लिया गया जिनका चेहरा तो श्रीनिवास से नहीं मिलता था लेकिन शरीर से उनके जैसे ही थे। अगले दृश्य में दूसरा श्रीनिवास कैमरे की ओर पीठ करके मुखर्जी के घर में चला जाता है। इसके साथ ही दृश्य पूरा होता है।
प्रश्न 6. बारिश का दृश्य चरित्र करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
बारिश का दृश्य चित्रित करने में पैसों की कमी के कारण बहुत मुश्किल आई। पैसा न होने के कारण बरसात के दिन निकल गए व शूटिंग न हो पाई। पैसा इकट्ठा होने पर बरसात की प्रतीक्षा होने लगी। एक दिन शरद ऋतु में आसमान में बादल छाए और मूसलाधार बरसात हुई। उसी बारिश में वह दृश्य चित्रित हुआ।
प्रश्न 7. किसी फिल्म की शूटिंग करते वक्त फिल्मकार को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
फिल्मकार को फिल्म बनाते वक्त निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
☞ सबसे पहले एक फिल्मकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
☞ अलग-अलग समय में एक ही दृश्य में आने वाली भिन्नता का सामना करना पड़ता है।
☞ बाल कलाकारों का शूटिंग अधिक समय तक चलने पर बढ़ जाने की समस्या।
☞ वृद्ध कलाकारों के चल बसने की समस्या।
☞ परिस्थिति व साधन की समस्या।
☞ कलाकार विशेषकर जानवरों को उचित प्रशिक्षण देने की समस्या।
अपू के साथ ढाई साल (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1:
‘अपू के साथ ढाई साल ‘संस्मरण का प्रतिपादय बताइए।
उत्तर-
अपू के साथ ढाई साल नामक संस्मरण पथेर पांचाली फ़िल्म के अनुभवों से संबंधित है जिसका निर्माण भारतीय फ़िल्म के इतिहास में एक बड़ी घटना के रूप में दर्ज है। इससे फ़िल्म के सृजन और उनके व्याकरण से संबंधित कई बारीकियों का पता चलता है। यही नहीं, जो । फ़िल्मी दुनिया हमें अपने ग्लैमर से चुधियाती हुई जान पड़ती है, उसका एक ऐसा सच हमारे सामने आता है, जिसमें साधनहीनता के बीच अपनी कलादृष्टि को साकार करने का संघर्ष भी है। यह पाठ मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया है जिसका अनुवाद विलास गिते ने। किया है। किसी फिल्मकार के लिए उसकी पहली फ़िल्म एक अबूझ पहेली होती है। बनने या न बन पाने की अमूर्त शंकाओं से घिरी फ़िल्म पूरी होने पर ही फ़िल्मकार जन्म लेता है। पहली फ़िल्म के निर्माण के दौरान हर फ़िल्म निर्माता का अनुभव संसार इतना रोमांचकारी होता है कि वह उसके जीवन में बचपन की स्मृतियों की तरह हमेशा जीवंत बना रहता है। इस अनुभव संसार में दाखिल होना उस बेहतरीन फ़िल्म से गुजरने से कम नहीं है।
प्रश्न 2:
‘वास्तुसर्प’ क्या होता है। इससे लेखक का कार्य कब प्रभावित हुआ?
उत्तर-
वास्तुसर्प वह होता है जो घर में रहता है। लेखक ने एक गाँव में मकान शूटिंग के लिए किराये पर लिया। इसी मकान के कुछ कमरों में शूटिंग का सामान था। एक कमरे में साउंड रिकार्डिग होती थी जहाँ भूपेन बाबू बैठते थे। वे साउंड की गुणवत्ता बताते थे। एक दिन उन्होंने उत्तर । नहीं दिया। जब लोग कमरे में पहुँचे तो साँप, कमरे की खिड़की से नीचे उतर रहा था। इसी डर से भूपेन ने जवाब नहीं दिया।
प्रश्न 3:
सत्यजित राय को कौन-सा गाँव सर्वाधिक उपयुक्त लगा तथा क्यों?
उत्तर-
सत्यजित राय को बोडाल गाँव शूटिंग के लिए सबसे उपयुक्त लगा। इस गाँव में अपू-दुर्गा का घर, अपू का स्कूल, गाँव के मैदान, खेत, आम के पेड़, बाँस की झुरमुट आदि सब कुछ गाँव में या आसपारा मिला।
प्रश्न 4:
लेखक को धोबी के कारण क्या परेशानी होती थी?
उत्तर-
लेखक बोडाल गाँव के जिस घर में शूटिंग करता था, उसके पड़ोस में एक धोबी रहता था। वह अकसर ‘भाइयो और बहनो!’ कहकर किसी राजनीतिक मामले पर लंबा चौड़ा भाषण शुरू कर देता था। शूटिंग के समय उसके भाषण से साउंड रिकार्डिंग का काम प्रभावित होता था। धोबी के रिश्तेदारों ने उसे सँभाला।
प्रश्न : 5
पुराने मकान में शूटिंग करते समय फिल्मकार को क्या-क्या कठिनाइयों आई?
उत्तर-
पुराने मकान में शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को निम्नलिखित कठिनाइयाँ आई-
(क) पुराना मकान खंडहर था। उसे ठीक कराने में काफी पैसा खर्च हुआ और एक महीना का वक्त लगा।
(ख) मकान के एक कमरे में साँप निकल आया जिसे देखकर आवाज रिकार्ड करने वाले की बोलती बंद हो गई।
प्रश्न : 6
‘सुबोध दा’ कौन थे? उनका व्यवहार कैसा था?
उत्तर-
‘सुबोध दा’ 60-65 आयु का विक्षिप्त वृद्ध था। वह हर वक्त कुछ-न-कुछ बड़बड़ाता रहता था। पहले वह फ़िल्मबालों को मारने दौड़ता है, परंतु बाद में वह लेखक को वायलिन पर लोकगीतों की धुनें सुनाता है। वह आते-जाते व्यक्ति को रुजवेल्ट, चर्चिल, हिटलर, अब्दुल गफ्फार खान आदि कहता है। उसके अनुसार सभी पाजी और उसके दुश्मन हैं।
अपू के साथ ढाई साल (पठित गद्यांश)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
1. रासबिहारी एवेन्यू की एक बिल्डिंग में मैंने एक कमरा भाड़े पर लिया था, वहाँ पर बच्चे इंटरव्यू के लिए आते थे। बहुत से लड़के आए, लेकिन अपू की भूमिका के लिए मुझे जिस तरह का लड़का चाहिए था, वैसा एक भी नहीं था। एक दिन एक लड़का आया। उसकी गर्दन पर लगा पाउडर देखकर मुझे शक हुआ। नाग पूछने पर नाजुक आवाज़ में वह बोला-‘टिया’। उसके साथ आए उसके पिता जी से मैंने पूछा, ‘क्या अभी-अभी इसके बाल कटवाकर यहाँ ले आए हैं। वे सज्जन पकड़े गए। सच छिपा नहीं सके बोले, ‘असल में यह मेरी बेटी है। अपू की भूमिका मिलने की आशा से इसके बाल कटवाकर आपके यहाँ ले आया हूँ।
प्रश्न
1. बच्चे इंटरव्यू के लिए कहाँ आते थे? क्यों?
2. लखक की किसकी तलाश थी?
3. फिल्मकार को किस बात पर शक हुआ?
उत्तर-
1बच्चे इंटरव्यू के लिए रासबिहारी एवेन्यू की बिल्डिंग में आते थे। यहाँ पर लेखक किराए के एक कमरे में रहता था। बच्चे यहाँ अपू की भूमिका पाने के लिए इंटरव्यू देने आते थे।
2. लेखक को एक ऐसा लड़का चाहिए था जो छह साल का हो तथा अपू की भूमिका के लिए उपयुक्त हो।
3. फिल्मकार के पास एक लड़का आया जिसकी गर्दन पर पाउडर लगा हुआ था। उसने उस लड़के से नाम पूछा तो उसने नाजुक आवाज़ में जवाब देते हुए अपना नाम टिया बताया। इस पर फिल्मकार को शक हुआ कि कहीं वह लड़की तो नहीं है।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
2. फिल्म का काम आगे भी ढाई साल चलने वाला है, इस बात का अंदाज़ा मुझे पहले नहीं था। इसलिए जैसे-जैसे दिन बीतने लगे, वैसे-वैसे मुझे डर लगने लगा। अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चे अगर ज्यादा बड़े हो गए, तो फिल्म में वह दिखाई देगा! लेकिन मेरी खुश किस्मती से उस उम्र में बच्चे जितने बढ़ते हैं, उतने अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाला बच्चे नहीं बढ़े। इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल उम्र की चुन्नीबाला देदी ढाई साल तक काम कर सकी यह भी मेरे सौभाग्य की बात थी।
प्रश्न
1. फिल्मकार को किस बात का अदाज़ा नहीं था?
2. फिल्मकार को कैसा डर सताने लगा था?
3. चुन्नीबाला देदी कौन थी? लेखक के लिए सौभाग्य की बात क्या थी?
उत्तर-
1. फिल्मकार को यह अंदाज़ा नहीं था कि उसकी फिल्म ढाई साल में पूरी होगी। उसे फिल्म निर्माण में आने वाली कठिनाइयों का अंदाज़ा नहीं था।
2. जब फिल्म बनने में समय अधिक लगने लगा तो फिल्मकार को अपू और दुर्गा की भूमिका निभाने वाले बच्चों के बड़े होने का डर लगने लगा। इससे फिल्म में उनका रोल खत्म हो जाता और लेखक को दुबारा नए बच्चे (अपू और दुर्गा के रोल के लिए) खोजने पड़ते।
3. चुन्नीबाला देवी अस्सी वर्ष की थी। उसने फिल्म में इंदिरा ठाकरुन की भूमिका निभाई। लेखक के लिए यह सौभाग्य था कि ढाई साल तक फिल्म का काम चला और चुन्नीबाला देवी की मृत्यु नहीं हुई।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
3. सुबह शूटिंग शुरू करके शाम तक हमने सीन का आधा भाग चित्रित किया। निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता अभिनेत्री हम सभी इस क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर हम घर पहुँचे। सात दिन बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, तो वह जगह हम पहचान ही नहीं पाए लगा. ये कहाँ आ गए हैं हम? कहाँ गए वे सारे काशफूल। बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे! अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मैल कैसे बैठता? उसमें से ‘कंटिन्युइटी नदारद हो जाती!
प्रश्न
1. पहले दिन सीन का आधा भाग चित्रित क्यों ही पाया?
2 लेखक ने क्या निर्णय लिया? क्यों?
3. काशफूलों के बिना शूटिंग करने में क्या कठिनाई थी?
उत्तर-
1. फिल्मकार नया था। यह गाँव भी नया था। साथ ही छायाकार, छोटे अभिनेता अभिनेत्री सभी नए थे। उन्हें अपने काम करने के स्थान का पता नहीं था। अतः उचित समन्वय के अभाव में आधा भाग ही चित्रित हो पाया।
2. रेलगाड़ी का दृश्य लंबा था। दूसरे, काम करने वाले सभी व्यक्ति नए थे। अत. पूरा सीन एक बार में चित्रित नहीं हो सकता था। अतः लेखक ने शेष आधा सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लिया और वापिस लौट गए।
3. लेखक यदि काशफूलों के बिना इस जगह पर आधे सीन की शूटिंग करते तो पहले वाले आधे सीन के साथ उसका मेल नहीं बैठ सकता था। सीन में निरंतरता नहीं रह पाती।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
4. उस सीन के बाकी अंश की शूटिंग हमने उसके अगले साल शरद ऋतु में, जब फिर से वह मैदान काशपूलों से भर गया, तब की। उसी समय रेलगाड़ी के भी शॉट्स लिए। लेकिन रेलगाड़ी के इतने शॉट्स थे कि एक रेलगाड़ी से काम नहीं चला। एक के बाद एक तीन रेलगाड़ियों को हमने शूटिंग के लिए इस्तेमाल किया। सुबह से लेकर दोपहर तक कितनी रेलगाड़ियों उस लाइन पर से ज्ञाती हैं यह पहले ही टाइम-टेबल देखकर जान लिया था। हर एक ट्रेन एक ही दिशा में आने वाली थी। जिस स्टेशन से वे रेलगाड़ियों आने वाली थी, उस स्टेशन पर हमारी टीम के अनिल बाबू थे। रेलगाड़ी स्टेशन से निकलते समय अनिल बाबू भी इंजिन ड्राइवर की केबिन में पढ़ते थे, क्योंकि गाड़ी के शूटिंग की जगह के पास आते ही बॉयलर में कोयला डालना ज़रूरी था, ताकि काला धुओं निकले। सफ़ेद काशफूलों की पृष्ठभूमि पर भगर काला धुभ नहीं आया, तो दृश्य से अच्छा लगेगा?
प्रश्न
1. लेखक ने आधे सीन की शूटिंग कब की तथा क्यों?
2. अनिल बाबू कहाँ रुके थे? वे इंजिन ड्राइवर के केबिन में क्यों चढ़ते थे।
3, काले धुंए की जरूरत क्यों थी?
उत्तर
1. लेखक ने रेलगाड़ी वाले दृश्य का आधा भाग शरद ऋतु में शूट किया। इस समय यह मैदान काशफूलों से भर गया।इसके लिए पूरे साल भर इंतजार किया गया।
2. अनिल बाबू उस स्टेशन पर रुके थे जहाँ से रेलगाड़ियों आने वाली थीं। वे इंजिन ड्राइवर के केबिन में चढ़ते थे, क्योंकि उन्हें गाड़ी के शूटिंग की जगह के समीप पहुँचते ही बॉयलर में कोयला डालना था ताकि काला धुआँ निकले।
3. इंजन से काला धुआँ निकलना जरूरी था, क्योंकि सीन की पृष्ठभूमि सफेद काशफूलों की थी। ऐसी पृष्ठभूमि पर काले धुएँ से दृश्य अच्छा बनता है।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
5. सचमुच यह कुत्ता भूलो जैसा ही दिखता था। वह भूलो से बहुत ही मिलता जुलता था। उसके शरीर का रंग तो भूलो जैसा बादामी था ही, उसकी दुम का छोर भी भूलों के दुम की छोर जैसा ही सफेद था। आखिर यह का हुआ भात उसने खाया, और हमारे उस दृश्य की शूटिंग पूरी हुई। फिल्म देखते समय यह बात किसी के भी ध्यान में नहीं आती कि एक ही सीन में हमने ‘भूल’ की भूमिका में दो अलग अलग कुत्तों से काम लिया है.
प्रश्न
1. भूल व इस कुत्ते में क्या समानता थी?
2. भूर्जा की भूमिका में दो अलग-अलग कुत्तों से काम क्यों लेना पड़ा?
3. फिल्म देखने से दर्शकों की किस बात का पता नहीं चला?
उत्तर-
1, भूलो कुत्ते से गाँव का कुत्ता बहुत मिलता जुलता था। उसके शरीर का रंग भूलो जैसा बादामी, दुम का छोर भी सफेद था। इस तरह दोनों में काफी समानता थी।
2. ‘पथेर पांचाली’ उपन्यास में भूल नामक कुत्ता था। लेखक ने गाँव के कुत्ते से भूल के दूश्य फिल्माए। धन के अभाव के कारण है। महीने शूटिंग नहीं हुई। जब दोबारा शूटिंग करने गए तो पहले कुत्ते की मृत्यु हो गई थी। दृश्य को पूरा करने के लिए भूली जैसा नया कुत्ता खोजा गया। अतः ‘भूलों की भूमिका में दो अलग-अलग कुत्तों से काम लेना पड़ा।
3, फिल्म देखने से दर्शकों को यह नहीं पता चलता कि सीन में कुत्ता बदल दिया गया है। दोनों में इतनी समानता थी कि ये उनमें अंतर महसूस नहीं कर पाते।
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
6. हमें ऐसा सीन लेना था, लेकिन मुश्किल यह कि यह कुत्ता कोई हॉलीवुड का सिखाया हुआ नहीं था। इसलिए यह बताना मुश्किल ही था कि वह अपू दुर्गा के साथ भागता जाएगा या नहीं। कुत्ते के मालिक से हमने कहा था, ‘अपू-दुर्गा जब भागने लगते हैं, तब तुम अपने कुत्ते को न दोनों के पीछे भागने के लिए कहना।’ लेकिन शूटिंग के वक्त दिखाई दिया कि वह कुत्ता मालिक की आज्ञा का पालन नहीं कर रहा है। इधर हमारा कैमरा चालू ही था। कीमती फिल्म ज़ाया हो रही थी और मुझे बार-बार चिल्लाना पड़ रहा था-बट्! कट्!’ अब यहाँ धीरज रखने के सिवा दूसरा उपाय नहीं था। अगर कुत्ता बच्चों के पीछे दौड़ा, तो ही वह उनका पालतू कुत्ता लग सकता था। आखिर मैंने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने के लिए कहा, और वह कुत्ते को दिखाकर दौड़ने को कहा। इस न्यार कुत्ता उनके पीछे भागा, और हमें हमारी इच्छा के अनुसार शॉट मिला।
प्रश्न
1. कुत्ता का हॉलीवुड का सिखाया हुआ नहीं था का क्या तात्पर्य है।
2. लेखक को बार-बार चिल्लाना क्यों पड़ रहा था?
3. लेखक ने अपनी इच्छा के अनुसार शॉट कैसे लिया?
उत्तर-
1, लेखक के कहने का तात्पर्य है कि हॉलीवुड में जानवरों को प्रशिक्षित करके ही उनका प्रयोग किया जाता है। इससे वे ट्रेनर की आज्ञा का पालन करते हैं, परंतु लेखक के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। उसे गाँव के स्थानीय कुत्ते से फिल्म की शूटिंग पूरी करनी थी। अतः उस कुत्ते से इच्छित कार्य नहीं करवाया जा सकता।
2. लेखक कुत्ते के भागने का सीन शूट कर रहा था, परंतु कुत्ता वांछित प्रतिक्रिया ही नहीं दिखा रहा था। कैमरा चालू होने से कीमती फिल्म की बर्बादी हो रही थी। इस कारण लेखक को बार बार ‘कट कट चिल्लाना पड़ रहा था।
3, ‘भूलो’ कुत्ता अपू व दुर्गा के पीछे नहीं दौड़ रहा था। अंत में लेखक ने दुर्गा से अपने हाथ में थोड़ी मिठाई छिपाने तथा कुत्ते को दिखाकर दौड़ने को कहा। यह युक्ति काम आई और लेखक को अपनी इच्छानुसार शॉट मिल गया।
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Hii