1. मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है?
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
- भलाई के कार्य करते रहना
- दीपावली के दीपक जलाना
- बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
- तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना
उत्तर: भलाई के कार्य करते रहना
प्रश्न 2: “जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी।” यह वाक्य किससे कहा गया है?
- तूफ़ान से
- मनुष्यों से
- दीपकों से
- तिमिर से
उत्तर: मनुष्यों से
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: विद्यार्थियों को चर्चा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे समझ सकें कि कविता का संदेश समाज में भलाई और जीवन के अंधकार से निकलने के बारे में है।
2. मिलकर करें मिलान
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
---|---|
1. अमावस | 4. अमावस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता। |
2. पूर्णिमा | 1. पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है। |
3. विद्युत – दिए | 2. विद्युत दिये अर्थात बिजली से जलने वाले दीपक, बल्ब आदि उपकरण। |
4. युग | 3. समय, काल, युग संख्या में चार माने गए हैं – सत्ययुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। |
3. पंक्तियों पर चर्चा
पंक्ति: “दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।”
उत्तर: कवि ने यह संदेश दिया है कि संघर्ष और सफलता की कहानी निरंतर चलती रहेगी। हमें निराश नहीं होना चाहिए। अगर एक भी दीप जलता रहेगा, तो अंधकार दूर होगा और प्रकाश फैलेगा।
4. सोच-विचार के लिए
(क) कविता में अंधेरे या तिमिर के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर:
- अमावस
- निशा
- तिमिर की सरिता
- तिमिर की शिला
- पवन
- तूफ़ान
(ख) कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
उत्तर: कविता जीवन में उम्मीद की एक किरण को उजागर करती है। अंधेरे में भी एक दीपक का जलना यह बताता है कि संघर्ष के बाद सफलता जरूर मिलती है। यह आशा की गई है कि प्रेम, स्नेह और मानवीयता से जीवन में उजाला फैलाया जा सकता है।
5. रचना
शब्दों से रचनात्मक गतिविधियाँ:
आप इस कविता को गा सकते हैं, ताल के साथ इसे एक लय में प्रस्तुत कर सकते हैं, जिससे यह अधिक प्रभावशाली और प्रेरणादायक लगेगा।
6. मिलान
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
---|---|
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। | 3. विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा। |
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। | 4. दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए। |
3. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी। | 2. विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है? |
4. बिना स्नेह विद्युत – दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। | 1. विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा। |
7. अनुमान या कल्पना से
(क) “दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी”
यह पंक्ति यह दर्शाती है कि दीपक और तूफ़ान के बीच संघर्ष की यह कहानी हमेशा चलती रहेगी—जहां दीपक का प्रकाश अंधेरे को दूर करता रहेगा और तूफ़ान उसे बुझाने की कोशिश करता रहेगा।
(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
यह पंक्ति प्रेरणा देती है कि एक बार जो सही मार्ग पर कदम रखा गया, वह हमेशा के लिए चमकता रहेगा और हमें अपनी प्रेरणा को बनाए रखना चाहिए।
8. शब्दों के रूप
(क) “कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
‘अमावस’ और ‘पूर्णिमा’ शब्दों का अर्थ तो समान है, लेकिन इनका प्रयोग अलग-अलग संदर्भों में होता है। इसी तरह के और शब्दों को विद्यार्थी खोज सकते हैं।
(ख) “दिया – दीप”, “उजेला – उजाला”, “अनगिन – अनगिनत” आदि।
9. अर्थ की बात
(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर”
इस पंक्ति में ‘चलो’ शब्द के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखने से अर्थ में यह अंतर आता है कि “चलो” से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, जबकि “रहो” से स्थिर रहने का अर्थ निकलता है।
10. प्रतीक
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।”
यहाँ ‘निशा’ और ‘सवेरा’ प्रतीक हैं। ‘निशा’ अंधकार (अंधेरे) और ‘सवेरा’ उजाला (प्रकाश) का प्रतीक है। यह हमें जीवन में अंधेरे के बाद उजाले की उम्मीद और संघर्ष से प्रेरणा देता है।
(ख) ‘निशा’ और ‘सवेरा’ के लिए अन्य शब्द:
- निशा: रात, अंधकार, रात्रि
- सवेरा: दिन, प्रात: काल, प्रभात
11. पंक्ति से पंक्ति
प्रश्न: “बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर।”
वाक्य रूप में: “तुम वह नाव निरंतर बहाते चलो।”
इसी तरह बाकी पंक्तियाँ भी वाक्यों में बदली जा सकती हैं।
12. सा/सी/से का प्रयोग
प्रश्न: “घिरी आ रही है अमावस निशा-सी
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।”
यहाँ ‘सी’ शब्द समानता को दिखाता है। ‘निशा-सी’ और ‘स्वर्ण-सी’ में समानता का बोध कराया गया है।
(क) व्यक्तिगत वाक्य (सा/सी/से)
- वह लड़की गुलाब-सी सुंदर है।
- उसकी आँखें नीले आसमान-सी चमक रही थीं।
- तुम्हारा मन सोने-सा निखरा हुआ है।
No Responses